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Bhajan Lyrics

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Main Us Darbar Ka Sewak Hun Bhajan Lyrics / मैं उस दरबार का सेवक हूँ भजन

by staff

मैं उस दरबार का सेवक हूँ हिन्दी भजन लिरिक्स

मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में केहता हु मेरा मालिक शीश का दानी है,

मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में केहता हु मेरा मालिक शीश का दानी है,

इनके दरबार के नोकर भी दुनिया में सेठ कहाते है,
जिनको है मिली सेवा इनकी वो किस्मत पे इतराते है,
जो श्याम की सेवा रोज करे,
वो रात दिवस फिर मौज करे जिन पर इनायत है बाबा की खुद खुशियाँ खोज करे,
मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,

जब भी कोई चीत्कार करे तो इनका सिंगासन हिलता है,
ये रोक नही पाता खुद को झट जा कर उस को मिलता है,
जो श्याम प्रभु से आस करे बाबा न उनको निरास करे,
उन्हें खुद ये राह दिखाता है जो आँख मूंद विस्वाश करे,
मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,

जिसने भी श्याम की चोकठ पर कर के माथा टेका है,
उस ने मुड कर के जीवन में वापिस न फिर कभी देखा है,
माधव जब श्याम सहारा है तो जीवन पे भव भारा है ,
जो हार गया इक बार याहा वो हारा नही दोबारा है,
मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,

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