ओ यारो माफ़ करना कुछ कहने आया हूँ
कुछ अपने बारे मे समझाने आया हूँ
ओ यारो माफ़ करना कुछ कहने आया हूँ
ओ यारो माफ़ करना कुछ कहने आया हूँ
कुछ अपने बारे मे समझाने आया हूँ
मैं हूँ परदेशी नौजवान
दिल में रहने आया हूँ
दिल में रहने आया हूँ
ओ यारो माफ़ करना कुछ कहने आया हूँ
ओ यारो माफ़ करना कुछ कहने आया हूँ
ओय..ओय…ओय…मेरे अहले वतन
ओ तेरा क्या कहना
नसरीनो सामान
खुशबू ए चमन तेरा क्या कहना
मेरी गंगो जमान तेरा क्या कहना
ओय..ओय…ओय…ऐ देश से आने वाले बता
कैसा है मेरा महबूब वतन
कैसा है मेरा महबूब वतन
क्या अब भी वहां खलियानो मे
सब नीम के नीचे सोते है
क्या अब भी वहां बचपन वाले
वह खेल सुहाने होते है
क्या अब भी वहां राजरानी के
किस्से दादी सुनाती है
क्या अब भी वहां पर बच्चों को
माँ लोरी गा के सुनती है
क्या अब भी वहां बैसाखी में
सब झुम्के भंगड़ा पण्डे है
ओय..ओय…ओय…क्या अब भी वहां बरतो में
सब तषे ढोल बजनदे है
ओय..ओय…ओय…क्या अब भी वहां के
ढाबों में मिलती है मक्के दी रोटी
ओय..ओय…ओय…क्या अब भी वहां के
मेलो में उड़ती है हसीनोकी छोटी
तेरे देश की मिटटी की
वोही ख़ुशबू लाया हूँ
वोही ख़ुशबू लाया हूँ
ओ यारो माफ़ करना कुछ कहने आया हूँ
कुछ अपने बारे में समझाने आया हूँ….
ऐ मेरे वतन कुर्बान
तू मेरी आन…वई वई…तू मेरी शान…वई वई
तू मेरी जान…वई वई…तुझपे कुर्बान…वई वई
मेरा अरमान…वई वई…मेरी पहचान…वई वई
मेरा ईमान…वई वई…तुझपे कुर्बान…वई वई
क्या अब भी मुहब्बत की लहरे
उठती है चनाब के पानी से
क्या अब भी सुरूर छलकता है
मदमस्त हवा की रवानी से
क्या अब भी वहां पे
ग़ालिब मीर की ग़ज़ल गाई जाती है
क्या अब भी वहां पे
मस्तानी महफ़िलें सजाई जाती है
क्या अब भी वहां की ईदो में
आती है सिवईयो कि खुशबू
क्या अब भी वहां त्योहारों में
लगते है वो मेले हरसू
क्या अब भी वहां पर शादी में
दूल्हे का सेहरा गाते है
क्या अब भी वहां खुशहाली में
घर घर लड्डू भिजवाते है
तू लगा ले गले मुझको
मैं भी तेरा ही सयान हूँ
मैं भी तेरा ही सयान हूँ
ओ यारो माफ़ करना कुछ कहने आया हु
कुछ अपने बारे में समझाने आया हूँ
मैं हूँ परदेशी नौजवान
दिल में रहने आया हूँ
मैं हूँ परदेशी नौजवान
दिल में रहने आया हूँ
मैं हूँ परदेशी नौजवान
दिल में रहने आया हूँ
आ…आ…आ…आ…
आ…आ…आ…आ…